SSD
SSD पूरा नाम सॉलिड स्टेट ड्राइव (Solid State Drive) है जो data को स्टोर करने के लिए NAND Flash Memory का प्रयोग करती है।
NAND से तात्पर्य NAND logic gate से है = NOT+AND gate
इसकी संग्रहण क्षमता एवं स्पीड, हार्ड डिस्क के मुकाबले कहीं ज्यादा होती है।
इसमें hard disk drive की तरह कोई भी mechanical component (यांत्रिकीय उपकरण) जैसेकि घूमने वाली डिस्क एवं मूव करने वाले read / write head आदि नही होते हैं। अर्थात SSD में कोई भी हिलने-डुलने, घुमने वाले उपकरण (moving parts) नही होते हैं, जिसकी वजह से यह मेमोरी तीव्र गति से data को एक्सेस करने एवं विद्युत की कम खपत करने में सक्षम है।
चूँकि कोई भी moving parts नही होता है इसलिए यह HDD की तुलना में ज्यादा durable एवं reliable होती है।
SSD, डेटा को संग्रहित करने के लिए Integrated Circuit (IC = इन्टीग्रेटेड सर्किट) को मेमोरी की तरह उपयोग करती है और ये इन्टीग्रेटेड सर्किट, NAND flash memory से बने होते हैं, एवं NAND flash मेमोरी, RAM की तरह semiconductor पदार्थ (सामान्यत सिलीकॉन) से बनी होती है। पर यह non-volatile (स्थायी) memory होती है जिसमें data को स्थायी तौर पर संग्रहित किया जाता है। |
इसमें एक माइक्रो-प्रोसेसर भी होता है जिसे embedded processor अथवा micro-controller भी कहते हैं। यह SSD का brain होता है एवं इसके समस्त कार्यों को control एवं manage करता है।
SSD में संयोजित (integrated) माइक्रो-कंट्रोलर ही SSD की quality को डिफाइन करता है।
माइक्रो-प्रोसेसर के कार्य
माइक्रो-प्रोसेसर निम्नलिखित कार्यों को पूरा करता है –
- Data management – इसके अन्तर्गत data को store करना, retrieve करना, data को मेमोरी से हटाना आदि ऑपरेशन परफार्म किये जाते हैं।
- Error correction
- Bad block management
- Garbage collection
- Wear levelling – एल्गोरिदम की मदद से SSD के memory block के जीवनकाल (life spam) में वृद्धि करना, जिसकी वजह से SSD का जीवनकाल बढ़ जाता है। ( अर्थात memory block/ SSD को खराब होने से बचाना)
- SSD के लिए security features, performance optimization आदि को मैनेज करना।
- Host system (computer) एवं SSD के मध्य communication स्थापित करना।
Host system (computer एवं अन्य डिवाइसेस), SSD से SATA (Serial ATA) अथवा NVMe (Non-Volatile Memory express) इन्टरफेस/केबल के माध्यम से connect की जाती है। इसी Interface/ cable के माध्यम से host system द्वारा दिए गए commands (data को store करने, retrieve करने आदि टास्क परफार्म करने के लिए) को SSD ग्रहण करता है।
Wear levelling = (memory block/ SSD को खराब होने से बचाना)
यदि किसी मेमोरी के एक ही मेमोरी ब्लॉक में डेटा को बार-बार store एवं erase किया जाए, तो वह ब्लॉक खराब हो जाएगा. इसलिए माइक्रोकंट्रोलर, वियर लेवलिंग एल्गोरिथम को एग्जीक्यूट करके यह सुनिश्चित करता है कि, प्रत्येक बार डेटा को अलग-अलग pages/ blocks में राइट किया जाए। यह सभी pages/ memory blocks को लंबे समय तक चलने में मदद करता है और SSD को अच्छी स्थिति में रखता है जिससे SSD की लाइफ लंबे समय तक बनी रहती है।
SSD की storage capacity –
इसकी संग्रहण क्षमता काफी अधिक होती है। वर्तमान समय में इसकी क्षमता लगभग 8 TB या 16 TB तक है। जिसे Desktop, Laptop, mobile आदि उपकरणों में उपयोग किया जा सकता है।
Data transfer rate of SSD = 1050 MBPS या इससे भी ज्यादा।
Forms of SSD
SSD दो रूपों में उपलब्ध है-
- External SSD
- Internal SSD
External SSD
यह एक पोर्टेबल एवं रिमूवबल स्टोरेज डिवाइस है जिसे eSATA (External SATA) cable, USB cable या Thunderbolt cable आदि इन्टरफेस के माध्यम से Desktop, Laptop, Smartphone/ Tablet आदि से connect किया जा सकता है, एवं काम होने के बाद इसे आसानी से निकाल सकते हैं। एक तरह से हम कह सकते हैं कि यह pen drive का बड़ा रूप है।
Internal SSD
यह कम्प्यूटर, लैपटॉप एवं अन्य डिवाइसों के भीतर fix कर दी जाती है। जब यह कम्प्यूटर में मुख्य सेकेंडरी स्टोरेज डिवाइस के रूप में कार्य करती है तो कंप्यूटर के समस्त सॉफ्टवेयर एवं डेटा आदि इसी भी install एवं store होते हैं।
इंटरनल SSD, रैम (RAM – Random Access Memory) की क्षमता को भी अद्भुत रूप से बढ़ाने का कार्य करती है।
यह कम्प्यूटर के मदर बोर्ड में SATAअथवा NVMe Slot में इन्स्टॉल (फिट) की जाती है।
SATA – Serial Advanced Technology Attachment
NVMe – Non-Volatile Memory Express
आधुनिक कम्प्यूटर में HDD की जगह SSD का ही प्रयोग किया जा रहा है, क्योंकि SSD की speed व storage capacity हार्ड डिस्क ड्राइव (HDD) की तुलना में काफी ज्यादा है। पर यह HDD से ज्यादा महँगी है।
मेमोरी सेल (Memory cell) – NAND Flash memory चिप के अन्दर memory cell, स्टोरेज की सबसे छोटी इकाई होती है, जिसमें data, बायनरी रूप (0 व 1) में संग्रहित होता है। एवं मेमोरी सेल को NAND logic gate की मदद से डिजाइन किया जाता है।
मेमोरी पेज (Memory page) – मेमोरी सेल, page में व्यवस्थित होती हैं। page कई memory cell से मिलकर बना होता है। एवं इसकी संग्रहण क्षमता KB (Kilobyte) में होती है।
मेमोरी ब्लॉक (Memory block) – यह pages का कलेक्शन होता है। लगभग् एक ब्लॉक में 64 pages होते हैं। SSD के प्रत्येक ब्लॉक में data को write एवं erase किया जाता है।
SSD, विभिन्न रूपों एवं विभिन्न sizes में उपलब्ध है।
Characteristics / Advantages of SSD – (SSD की विशेषताऍं / लाभ)
SSD की मुख्य विशेषताऍं निम्नलिखित हैं –
No Moving parts – कोई हिलने, ढुलने, घूमने वाला भाग नहीं
HDD की तरह इसमें कोई भी मैकेनिक कंपोनेंट्स जैसे घूमने वाली disks अथवा moving read/write heads, स्पिंडल मोटर आदि नहीं होते हैं, जिसकी वजह से इसकी डेटा को एक्सेस करने की गति काफी तेज होती है एवं फिजिकल डैमेज (भौतिक क्षति) होने की संभावना भी कम होती है।
गति (Speed) –
SSD की data transfer speed (read/ write speed) हार्ड डिस्क ड्राइव की तुलना में काफी उच्च होती है गति ज्यादा होने से डेटा का एक्सेस टाइम बहुत कम होता है जिसकी वजह से कंप्यूटर जल्दी से बूट हो जाता है एवं अन्य सॉफ्टवेयर, प्रोग्राम आदि भी जल्दी से लोड हो जाते हैं।
पूरे कंप्यूटर सिस्टम की रिस्पांस करने की प्रक्रिया फास्ट हो जाती है।
Energy Efficient – Low Power Consumption
HDD की तुलना में यह विद्युत ऊर्जा की खपत बहुत ही कम करती है जिसकी वजह से लैपटॉप एवं मोबाइल डिवाइस की बैटरी ज्यादा चलती है एवं डेस्कटॉप कम विद्युत की खपत करता है।
Durable – Long life
चूँकि इसके अंदर कोई भी moving part (हिलने-ढुलने, घूमने वाले पार्ट) अर्थात मैकेनिक कंपोनेंट नहीं होते हैं, जिसकी वजह से यह धक्कों, झटकों आदि को भी सह सकती है। इस गुण के कारण इसकी लाइफ काफी ज्यादा होती है।
Different form and size –
विभिन्न रूपों एवं आकार में उपलब्ध होने के कारण, विभिन्न devices में इंस्टॉल या कनेक्ट की जा सकती है।
Disadvantage of SSD – हानि
Higher Cost – कीमत ज्यादा होना
SSD की सबसे बड़ी कमी यह है कि इसकी कीमत HDD की तुलना में काफी ज्यादा है।
जिन computers में मुख्य द्वितीयक मेमोरी के रूप में कंप्यूटर के अंदर हार्ड डिस्क ड्राइव (HDD) का प्रयोग किया जाता है जिसमें ऑपरेटिंग सिस्टम (OS) इन्स्टॉल किया जाता है, उनमें भी SSD को लगा सकते हैं और ऑपरेटिंग सिस्टम को HDD से अनइन्स्टॉल व रिमूव करके SSD में इंस्टॉल कर सकते हैं।
ऐसा करने से यूजर का कंप्यूटर तीव्र गति से बूट होगा और यूजर चाहे तो HDD का उपयोग अन्य डेटा को स्टोर करने के लिए कर सकता है।