Primary Memory – प्रायमरी मेमोरी
प्रायमरी मेमोरी CPU का एक महत्वपूर्ण भाग होती है। यह मेमोरी सीधे ही CPU (ALU, CU) के सम्पर्क में रहती है और मदर बोर्ड में निश्चित स्थान पर फिट रहती है।
अर्थात ऐसी memory unit जिसका प्रयोग CPU द्वारा प्रोसेसिंग के समय data व निर्देशों को प्राप्त करने व संग्रहित करने के लिए किया जाता है। प्रायमरी मेमोरी कहलाती है। प्रायमरी मेमोरी को CPU सीधे व तीव्र गति से access कर लेता है। अर्थात यह मेमोरी CPU के directly सम्पर्क में होती है।
प्रोसेसिंग के समय उपयोग होने वाले data व instructions (निर्देश), प्रोसेसिंग के दौरान उत्पन्न Intermediate results और प्रोसेसिंग के उपरान्त प्राप्त output/result, प्रायमरी मेमोरी में ही संग्रहित होते हैं, ताकि जरूरत पड़ने पर CPU इन्हें शीघ्रता से access कर सके।
हालाकि प्रायमरी मेमारी (RAM, Cache Memory), डेटा को तभी तक स्टोर करके रख सकती हैं जब तककि कोई सॉफ्टवेयर running mode में होता है। या फिर कम्प्यूटर चालू रहता है, जैसे ही हम सॉफ्टवेयर को close करते हैं या कम्प्यूटर बन्द होता है RAM या Cache Memory में संग्रहित data नष्ट हो जाते हैं।
RAM, ROM, Cache memory, Register आदि प्रायमरी मेमारी के उदाहरण हैं।
कम्प्यूटर की प्राथमिक मेमोरी (Primary Memory) को निम्नलिखित नामों से भी जाना जाता है –
- मुख्य मेमोरी (Main Memory)
- प्राथमिक संग्रहण (Primary Storage)
- सेमीकंडक्टर मेमोरी (Semiconductor Memory)
- आन्तरिक मेमोरी (Internal Memory)
प्रश्न – प्राथमिक मेमोरी को semi-conductor memory क्यों कहते हैं?
उत्तर – प्रायमरी मेमोरी, सेमी कण्डक्टर पदार्थ से निर्मित आई०सी० (IC = Integrated Circuit) चिप के रूप में होती है यही कारण है कि इसे semi-conductor memory भी कहा जाता है।
प्राथमिक मेमोरी की विशेषताऍं – Characteristics of Primary Memory
- उच्च गति (high speed) – इनका access time बहुत ही कम होता है, सिर्फ कुछ की nanosecond में CPU द्वारा access कर ली जाती है।
- अस्थिरता (Volatile) – (बिजली बंद होने पर यह अपना डेटा खो देती है – RAM, Cache आदि)
- वर्तमान में उपयोग में आने वाले डेटा और प्रोग्राम को संग्रहित करके रखती है।
- यह कम्प्यूटर की मुख्य मेमोरी होती है।
- संग्रहण क्षमता सीमित होती है।
- प्रायमरी मेमोरी, computer के CPU का ही एक आवश्यक अंग या भाग होती है, जो सीपीयू द्वारा सीधे एक्सेस की जाती है ।
- ROM, जो कि एक स्थायी प्रायमरी मेमोरी है उन निर्देशों व सिस्टम-स्तरीय प्रोग्राम (BIOS) को संग्रहित करके रखती है जिनके द्वारा कंप्यूटर को बूट किया जाता है और हार्डवेयर का आरंभीकरण (initialization) किया जाता है। रोम में संग्रहित डेटा व निर्देश स्थायी तौर पर स्टोर होते हैं। ये power supply न मिलने पर अर्थात कम्प्यूटर बन्द होने पर भी नष्ट नहीं होते हैं। और न ही इनको आसानी से परिवर्तित किया जा सकता है।
Types of Primary Memory – प्राथमिक मेमोरी के प्रकार
प्रायमरी मेमोरी स्थायी (Non Volatile) व अस्थायी (Volatile) दो प्रकार की होती है।
स्थायी (Non Volatile) मेमोरी – कम्प्यूटर की स्थायी प्राथमिक मेमोरी वह मेमोरी होती है जिसमें संग्रहित किये गए डेटा व निर्देश विद्युत सप्लाई न मिलने पर भी नष्ट नही होते हैं। इसका उदाहरण रोम (ROM) है जिसमें कम्प्यूटर निर्माण के समय ही डेटा व निर्देश स्टोर कर दिए जाते हैं और ये स्थायी तौर पर संग्रहित रहते हैं।
रोम क्या है? – ROM
ROM की परिभाषा
रोम कम्प्यूटर की मुख्य अथवा प्राथमिक मेमोरी (Main अथवा Primary memory) होती है, जिसका पूरा नाम Read Only Memory होता है।
यह सिलीकॉन से बनी, एक सेमीकंडक्टर चिप होती है, जिसमें डेटा व प्रोग्राम्स स्थायी तौर पर स्टोर होते हैं।
जैसा कि इसके नाम से ही पता चलता है कि, यह एक ऐसी प्रायमरी मेमोरी है, जिसमें संग्रहित डेटा व निर्देशों को, केवल पढ़ा जा सकता है, उन्हें परिवर्तित (edit या alter) या delete (नष्ट) नही किया जा सकता है।
यह एक स्थायी मेमोरी (permanent memory) है, जिसमें संग्रहित डेटा व प्रोग्राम, विद्युत सप्लाई न होने पर, अथवा कम्प्यूटर बन्द होने पर भी नही मिटते हैं, वो ज्यों के त्यों ही रहते हैं। यही वजह है कि ROM को Non-Volatile memory (नान वोलेटाइल मेमोरी) भी कहते हैं।
यह Computer के मदरबोर्ड में एक सिलीकॉन चिप (silicon chip) के रूप में fix रहती है।
ROM के उपयोग | Uses of ROM
कम्प्यूटर निर्माण के समय में ही, ROM में कुछ माइक्रो (छोटे) प्रोग्राम्स जैसे – POST (Power on self test), BIOS (Basic Input Output System) आदि स्थायी तौर पर संग्रहित कर दिये जाते हैं। जो कि कम्प्यूटर के on होने पर, उसकी सभी Input devices एवं Output devices को test और नियंत्रित करते हैं, साथ ही कम्प्यूटर की बूटिंग प्रोसेस को भी मैनेज व नियंत्रित करते हैं। और आवश्यकता होने पर, यूजर को समय-समय पर निर्देश भी देते रहते हैं।
अर्थात कम्प्यूटर को बूट करने से सम्बन्धित, समस्त निर्देश ROM में ही संग्रहित रहते हैं। जो कि computer के बूट (चालू) होने तथा operating system (OS) को RAM में लोड करने की प्रक्रिया को सम्पन्न करते हैं।
रोम एक I.C. chip (Integrated circuit chip) के रूप में होती है।
रोम के प्रकार | Types of ROM
ROM (Read Only Memory) निम्न प्रकार की होतीं हैं-
- P ROM या PROM (प्रोम) – प्रोग्रामेबल रीड ओन्ली मेमोरी
- E-PROM या E-P-ROM या EP-ROM – इरैजबल प्रोग्रामेबल रीड ओन्ली मेमोरी
- EE-PROM या EEP-ROM – इलेक्ट्रिकली इरैजबल प्रोग्रामेबल रीड ओन्ली मेमोरी
P ROM या PROM (प्रोम)
इसका पूरा नाम प्रोग्रामेबल रीड ओन्ली मेमोरी (Programmable Read Only Memory) है।
यह सबसे साधारण प्रकार की रोम है। इस प्रकार की रोम चिप में, केवल एक बार ही किसी भी डेटा या प्रोग्राम को संग्रहित किया जा सकता है।
डेटा या प्रोग्राम को संग्रहित करने के बाद, ना तो उसे परिवर्तित किया जा सकता और ना ही उसे मिटाया जा सकता है। केवल पढ़ा जा सकता है।
हमारे कंप्यूटर में बॉयोस प्रोग्राम (BIOS Program), पोस्ट प्रोग्राम (POST Program) आदि प्रकार के माइक्रो (छोटे) प्रोग्राम इसी प्रकार के रोम चिप में संग्रहित किए जाते हैं।
हानि – इस प्रकार की रोम में संग्रहित हुए प्रोग्राम में, यदि किसी कारण बस त्रुटि हो जाती है, तो यह पूरी की पूरी रोम चिप ही बेकार हो जाती है। क्योंकि इसमें किसी भी प्रकार का सुधार संभव नही होता है।
प्रोम में केवल एक ही बार प्रोग्राम व डेटा संचित कर सकते हैं। अर्थात दुबारा नही किया जा सकता है।
प्रोम प्रोग्रामर या प्रोम प्रोग्राम बर्नर – प्रोम मेमोरी में सूचनाओं को स्टोर या बर्न करने का काम, एक प्रोग्राम द्वारा किया जाता है, जिसे प्रोम प्रोग्रामर या प्रोम बर्नर कहते हैं।
इस प्रकार रोम में केवल एक बार प्रोग्राम स्टोर या बर्न किया जा सकता है, फिर बाद में किसी भी प्रकार का सुधार संभव नहीं है।
E-PROM या E-P-ROM या EP-ROM
इसका पूरा नाम इरैजबल प्रोग्रामेबल रीड ओन्ली मेमोरी (Erasable Programmable Read Only Memory) है।
इसे E-PROM या E-P-ROM या EP-ROM भी कहते हैं।
E-PROM या EP-ROM, एक इस प्रकार की रोम है, जिसमें स्टोर डेटा व प्रोग्राम को मिटाया जा सकता है।
इसमे डेटा व प्रोग्राम को स्थाई तौर पर संग्रहित कर दिया जाता है। इन डेटा व प्रोग्राम को संग्रहित करने का कार्य, एक प्रोग्राम द्वारा किया जाता है जिसे ई-प्रोम प्रोग्रामर या ई-प्रोम प्रोग्राम बर्नर कहते हैं।
एक बार स्टोर किए गए डेटा व प्रोग्राम को केवल रीड किया जा सकते है। यदि किसी तरह की editing या Alteration (परिवर्तन) करना चाहते हैं, तो ये सब संभव नही है।
पर इसमें, एक विशेष डिवाइस के द्वारा लगभग 10 से 20 मिनट तक अल्ट्रावॉयलेट रेज (पराबैगनी किरणों) को डालकर, इसमें पहले से स्टोर डेटा व प्रोग्राम को मिटाया जा सकता है, और दूसरे डेटा व प्रोग्राम को संग्रहित करने के लिए यह पूर्णत: खाली हो जाती है।
यही वजह है कि ईप्रोम को अल्ट्रावायलेट ईप्रोम (Ultra-violet E-PROM) भी कहते हैं।
ई-प्रोम में जब अल्ट्रावॉयलेट रेज डाली जाती है, तब इसमें संग्रहित, सारा डेटा और प्रोग्राम मिट जाता है और यह पूरी तरह खाली हो जाती है।
पर इसमें प्राब्लम यह है कि, अगर प्रोग्राम के किसी विशेष हिस्से या भाग में किसी तरह का परिवर्तन करना चाहते हैं, तो इसमे यह संभव नहीं है।
EE-PROM या EEP-ROM
EE-PROM का पूरा नाम इलेक्ट्रिकली इरैजबल प्रोग्रामेबल रीड ओन्ली मेमोरी (Electrically Erasable Programmable Read Only Memory) है।
इसमे भी डेटा व प्रोग्राम स्थाई तौर पर ही स्टोर होते हैं।
इसमे डेटा व प्रोग्राम को संग्रहित करने का कार्य, एक प्रोग्राम द्वारा किया जाता है जिसे ई ई-प्रोम प्रोग्रामर या ई ई-प्रोम प्रोग्राम बर्नर कहते हैं।
परंतु इसमें एक बार संग्रहित डेटा व प्रोग्राम के विशेष हिस्से में भी editing या alteration (सुधार या परिवर्तन) किया जा सकता है।
ई ई-प्रोम में डेटा व प्रोग्राम को परिवर्तित करने के लिए high voltage के विद्युत सिग्नल (electrical signal) की आवश्यकता होती है। खास बात यह है कि इसमें विद्युत सिग्नल की सहायता से मेमोरी के किसी भी हिस्से या लोकेशन की जानकारी को परिवर्तित कर सकते हैं।
EE-PROM का उपयोग आजकल कंप्यूटरो की बायोस (BIOS-Basic Input-Output System) प्रोग्राम को संग्रहित करने के लिए किया जाता है। ताकि इस प्रकार की रोम में संग्रहित बायोस प्रोग्राम को आवश्यकतानुसार परिवर्तित किया जा सके। मतलब कम्प्यूटर निर्माताओं की वेबसाइट पर online जाकर अपडेट (update) किया जा सके।
फर्मवेयर (Firmware)- Software / Program एवं Hardware का मिश्रण फर्मवेयर कहलाता है।
चूँकि ROM में Programs जैसे BIOS आदि स्थायी रूप से संग्रहित होते हैं, और ROM खुद एक सिलीकॉन से बनी hardware memory है, अत: इसके इस software व hardware के मिश्रण को firmware (फर्मवेयर) के नाम से जाना जाता है।
अस्थायी (Volatile) मेमोरी – कम्प्यूटर की अस्थायी प्राथमिक मेमोरी वह मेमोरी होती है जिसमें संग्रहित हुए डेटा व निर्देश कम्प्यूटर को विद्युत सप्लाई न मिलने पर, अथवा जिस सॉफ्टवेयर में काम कर रहें हैं यदि उसे बन्द (close) कर दिया जाए तो उस सॉफ्टवेयर से सम्बन्धित सारे डेटा जो कि अस्थायी प्राथमिक मेमोरी में लोड हैं, नष्ट हो जाते हैं अर्थात मिट जाते हैं।
मतलब यह मेमोरी Volatile होती है, जिसका अर्थ है कि कंप्यूटर बंद होने पर इसका डेटा मिट जाता है।
इसके उदाहरण – RAM, Cache memory व Register हैं।
रैम क्या है? – RAM
RAM की परिभाषा
RAM का पूरा नाम (Full form) – रैंडम एक्सेस मेमोरी (Random Access Memory है।
यह सिलिकॉन से बनी हुई एक मेमोरी चिप होती है, जिसमें डेटा व प्रोग्राम अस्थायी (temporary) तौर पर लोड या स्टोर होते हैं। इन data व program का प्रयोग, CPU द्वारा processing के दौरान किया जाता है।
यह कम्प्यूटर की प्रायमरी या मुख्य मेमोरी होती है। जिसका प्रयोग कम्प्यूटर में सबसे ज्यादा होता है।
अस्थाई रूप से डेटा को स्टोर करने के कारण RAM को अस्थायी मेमोरी भी कहा जाता है।
रैम के अस्थायी होने का मतलब
इसके अस्थाई होने का मतलब यह है कि इसके द्वारा hold या store (संग्रहित) करने वाले data व program, यदि किसी सेकेंडरी स्टोरेज डिवाइस (जैसे कि hard-disk आदि) में ना save किए जाएं और इस दौरान विद्युत सप्लाई बंद हो जाय, मतलब power cut हो जाय या कंप्यूटर turn off (बंद) हो जाय, तो इसमें store हुए सारे डेटा व इंफॉर्मेशन स्वत: ही नष्ट हो जाते हैं।
मतलब रैम किसी data व program को केवल अस्थायी तौर पर ही स्टोर या होल्ड कर सकता है। यही कारण है कि रैम को वोलटाइल मेमोरी (Volatile memory) भी कहा जाता है।
RAM के प्रकार
रैम दो प्रकार की होती है-
- S RAM
- D RAM
S RAM –
S RAM का पूरा नाम स्टैटिक-रैम यानी कि Static Random Access Memory होता है।
इस प्रकार की रैम में, एक बार lode या store हुए डेटा व प्रोग्राम, तब तक संग्रहित रहते हैं जब तक इसे निरंतर पावर सप्लाई मिलती रहती है। अथवा प्रोसेसिंग में उपयोग हो रही फाइल या प्रोग्राम को न बंद कर दिया गया हो।
Static RAM को बार-बार रिफ्रेश या रिचार्ज (विद्युत आवेशित) करने की जरूरत नहीं होती है। अत: इनकी रिफ्रेश रेट कम होती है। जिसकी वजह से यह data को ज्यादा समय तक, अस्थाई तौर पर load कर पाती है।
इसकी डेटा ट्रांसफर करने की गति, डायनैमिक रैम की तुलना में तेज होती है। मतलब इनका access time कम होता है, पर यह महंगी होती है।
स्टैटिक-रैम वोल्टेज (voltage) के रूप में बिट (Bit) को स्टोर करती है।
Static RAM का उपयोग-
स्टैटिक-रैम का सामान्यत: प्रयोग- प्रोसेसर की तेज गति की मेमोरी रजिस्टर (CPU Register) और कैश मेमोरी (Cache memory) बनाने के लिए किया जाता है।
D RAM
D RAM का पूरा नाम डायनैमिक-रैम यानी कि Dynamic Random Access Memory होता है।
DRAM की खोज सर्वप्रथम 1968 में राबर्ट डेनर्ड (Robert Dennard) द्वारा की गई थी। इन्टेल कार्पोरेशन वह पहली कम्पनी थी जिसने 1970 के दशक में इसे बाजार में लान्च किया था।
यह सबसे सामान्य प्रकार की रैम है।
डायनैमिक रैम को बार-बार रिफ्रेस करने की जरूरत होती है। और यह bit को आवेश (charge) के रूप में संग्रहित करती है।
यहां पर रिफ्रेस (refresh) का मतलब क्या है, इस बात को समझते हैं-
डायनैमिक रैम में संग्रहित data निरंतर रूप से विद्युत सप्लाई होने पर भी, कुछ ही समय (मिली सेकेंड) में weak (कमजोर) होने लगते हैं, इसलिए इस प्रकार की रैम में एक रिचार्ज सर्किट जुड़ा रहता है, जो इसे बार-बार रिचार्ज या रिफ्रेस करता रहता है, यही वजह है कि इसकी रिफ्रेश रेट अत्यधिक होती है। अर्थात डायनामिक रैम को बार-बार रिफ्रेश करने की आवश्यकता होती है। लगभग 1 सेकंड में हजारों बार।
यहां refresh का मतलब Dynamic ram Chip को रिचार्ज या पुन: आवेशित करने से है।
और बार-बार refresh होने की वजह से इसमें स्टोर data बार-बार मिटता है और पुन: लिख जाता है, मिटता है और और पुन: लिख जाता है। यह प्रक्रिया इतनी तेजी से होती है कि user समझ नहीं पाता है कि डेटा बार-बार refresh हो रहा है और वह data व program को continuous form में experience करता है।
इसके जल्दी-जल्दी / बार-बार रिफ्रेश होने के कारण ही यह स्टैटिक रैम की अपेक्षा धीमी गति से कार्य करती है।
हालाकि Dynamic RAM की डेटा ट्रान्सफर करने की गति, Static RAM की तुलना में कम होती है, और इनके साथ सर्किट लगाकर बार-बार refresh या recharge (पुन:आवेशित) करने की भी आवश्यकता होती है, पर फिर भी इसका प्रचलन स्टैटिक रैम की तुलना में अधिक है, क्योंकि इनकी कीमत कम होती है और power (विद्युत) भी कम consume करती है। और साथ कम स्थान भी घेरती है।
Dynamic RAM का उपयोग
डायनैमिक-रैम का सामान्यत: प्रयोग- कम्प्यूटर की main memory बनाने के लिए किया जाता है।
- डायनैमिक रैम के प्रकार | Types of Dynamic RAM
- Static RAM और Dynamic RAM में अंतर
- RAM और ROM में अंतर
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