What are language processor OR Translator Programs in Hindi?
अनुवादक या लैंग्वेज प्रोसेसर किसे कहतें हैं?
दोस्तों लैंग्वेज प्रोसेसर को ट्रान्सलेटर प्रोग्राम या अनुवादक भी कहा जाता है।
किसी भी प्रोग्रामर के लिए कोई भी उच्च स्तरीय भाषा (High level language) सीखना तथा इन भाषा का प्रयोग करके कम्प्यूटर के लिए प्रोग्राम लिखना काफी आसान होता है। पर समस्या यह है कि कम्प्यूटर तो केवल अपनी भाषा ही, यानी की मशीन भाषा जिसे बाइनरी भाषा (Binary language) भी कहा जाता है के अलावा और कोई भाषा समझ ही नही सकता है।
इसलिए यह जरूरी हो जाता है कि प्रोग्रामर द्वारा उच्च स्तरीय भाषा (High level language) में लिखे गए प्रोग्राम को ट्रांसलेट (अनुवाद) किया जाए और बाइनरी भाषा / मशीन भाषा में बदला जाये ताकि कम्प्यूटर इन्हें आसानी से समझ कर इन्हें execute कर सके।
उच्च स्तरीय भाषा (High level language) में लिखे गये प्रोग्राम को बाइनरी भाषा या मशीन भाषा में बदलने के लिए जिस सिस्टम साफ्टवेयर का उपयोग किया जाता है उन्हें ट्रान्सलेटर प्रोग्राम अथवा लैंग्वेज प्रोसेसर कहा जाता है।
ट्रान्सलेटर प्रोग्राम अथवा लैंग्वेज प्रोसेसर कैसे काम करतें हैं?
इसको हम उदाहरण के द्वारा अच्छे तरीके से समझ सकते हैं-
दोस्तों हम साउथ की फिल्में दखेतें हैं कि जो तमिल, तेलगू, मलयालम आदि भाषाओं में होतीं हैं जिसको हम हिन्दी भाषी लोग नही समझ सकते, पर बहुत सारी कम्पनियां हैं जो इन फिल्मों को हिन्दी भाषा में डब (अनुवाद) कर देतीं हैं जो कि हमारे समझ में आसानी से आ जातीं हैं। और हम खूब आनन्द लेते हैं इन फिल्मों को देखकर।
इसी तरह हॉलीवुड की फिल्में भी अंग्रेजी भाषा में होती हैं जिन्हें हिन्दी भाषा में अनुवाद कराकर सिनेमाघरों या अन्य किसी भी प्लेटफार्म में दिखाया जाता है। जो कि हमारे समझ में अच्छे से आ जातीं है।
तो ये जो अनुवाद करने का काम है यही तो ट्रांसलेटर प्रोग्राम हमारे लिये करतें हैं। ताकि कम्प्यूटर, उच्च स्तरीय भाषा (High level language) में लिखे गए प्रोग्राम को समझ सके, चूँकि जैसा मैने बताया कि कम्प्यूटर केवल बाइनरी लैंग्वेज ही समझता है जो कि काफी कठिन होती है और प्रोग्रामर के द्वारा, जिसे सिखना काफी कठिन व समय लगने वाला होता हैं।
जबकि उच्च स्तरीय भाषा (High level language) सीखने में आसान होतीं हैं, और समय भी कम लगता है, जिनका उपयोग कर प्रोग्राम लिखा जाता है और फिर ट्रांसलेटर प्रोग्राम की मदद से इन्हें मशीन भाषा में बदलकर एग्जिक्यूट कराया जाता है।
ट्रान्सलेटर प्रोग्राम अथवा लैंग्वेज प्रोसेसर अथवा अनुवादक के प्रकार :-
तीन तरह के ट्रान्सलेटर प्रोग्राम अथवा लैंग्वेज प्रोसेसर होते हैं जिनका प्रयोग कम्प्यूटर में किया जाता है-
असेम्बलर (Assembler):-
असेम्बलर किसे कहतें हैं ?
असेम्बलर (Assembler)- असेम्बलर एक ऐसा ट्रान्सलेटर प्रोग्राम या साफ्टवेयर होता है जो असेम्बली भाषा में लिखे गये प्रोग्राम को कम्प्यूटर की भाषा यानी कि मशीन भाषा ( Machine language) / बाइनरी भाषा (Binary language) में बदल देता है
अर्थात यह प्रोग्राम असेम्बली भाषा में लिखे गये कोड, जिसे नेमोनिक (Mnemonic Code) कोड कहते हैं, को मशीन भाषा में बदल देता है।
चित्र के माध्यम से दिखया गया है कि कैसे Assembler, असेम्बली भाषा के प्रोग्राम को इनपुट के रूप में ग्रहण करता है और आउटपुट के रूप में मशीन भाषा या बाइनरी भाषा में ट्रांसलेट कर देता है।
असेम्बलर के लाभ (Advantages of Assembler)
असेम्बलर के लाभ निम्नलिखित हैं:-
- Assembler, असेम्बली भाषा का प्रयोग कर लिखने वाले प्रोग्रामरों व कम्प्यूटर के बीच इन्टरफेस प्रदान करता है। जो कि असेम्बली भाषा के कोड को मशीन भाषा में बदल देता है।
- असेम्बलर प्रोग्रामरों को असेम्बली भाषा में प्रोग्राम लिखने की सुविधा प्रदान करता हे। जो कि machine language की तुलना में काफी आसान है।
असेम्बलर की कमियाँ/हानियाँ (Disadvantages of Assembler)
असेम्बलर का कार्य केवल असेम्बली भाषा का प्रयोग कर लिखे गये प्रोग्राम को मशीन भाषा में बदलना होता है, पर असेम्बली भाषा में भी प्रोग्राम बनाना एक जटिल प्रक्रिया है। इसमें प्रयोग होने वाली नेमोनिक कोड (Mnemonic Code) को ध्यान रखना प्रोग्रामरों के लिए काफी मुस्किल होता है।
सोर्स प्रोग्राम या सोर्स कोड (Source program OR Source code):-
सोर्स प्रोग्राम या सोर्स कोड किसे कहते हैं?
प्रोग्रामर या यूजर के द्वारा लिखे गये प्रोग्राम या कोड चाहे वह निम्न स्तरीय भाषा (Low level language) में हों या उच्च स्तरीय भाषा (High level language) में सोर्स कोड या सोर्स प्रोग्राम कहलाते हैं।
अथवा
किसी भी प्रोग्रामिंग भाषा में लिखा गया प्रोग्राम (निर्देशों का समूह) सोर्स प्रोग्राम कहलाता है।
आब्जेक्ट प्रोग्राम या आब्जेक्ट कोड (Object program OR Object code):-
आब्जेक्ट प्रोग्राम या आब्जेक्ट कोड किसे कहते हैं?
ट्रांसलेटर प्रोग्राम (असेम्बलर/ कम्पाइलर/इन्टरप्रेटर) द्वारा सोर्स प्रोग्राम को जिस भाषा या कोड या प्रोग्राम में बदला जाता है। उसे आब्जेक्ट प्रोग्राम कहा जाता है।
यहॉं तीनों Case में ट्रांसलेटर सोर्स कोड को Machine language में बदल रहा है। इसलिए मशीनी भाषा ही object program या object code है।
कम्पाइलर (Compiler)
कम्पाइलर किसे कहते हैं?
कम्पाइलर भी एक ट्रान्सलेटर प्रोग्राम ही है जो उच्च स्तरीय भाषा में लिखे गये प्रोग्राम को कम्प्यूटर की भाषा यानी की मशीन भाषा या बाइनरी भाषा में बदल देता है।
कम्पाइलर पूरे प्रोग्राम को पहले एक साथ स्कैन करता है, तथा एक साथ ही पूरे प्रोग्राम को मशीन भाषा में बदल देता है। अर्थात् compiler प्रोग्रामर द्वारा लिखे गये पूरे प्रोग्राम को एक साथ ही स्कैन करके, इन्हें मशीनी भाषा में बदल देता है।
प्रत्येक उच्च स्तरीय भाषा (जो कम्पाइलर का उपयोग करती है) का अपना खुद का अलग-अलग कम्पाइलर होता है। और एक कम्पाइलर केवल उन्हीं भाषा के सोर्स प्रोग्राम को आब्जेक्ट प्रोग्राम में परिवर्तित कर सकता है। जिन भाषा में लिए उसे बनाया गया है।
उदाहरण के तौर पर कोबोल भाषा का अपना अलग कम्पाइलर होता पास्कल भाषा का अलग। इसी तरह C, C++, Fortran आदि भाषाओं के अपने-अपने कम्पाइलर होते हैं। कभी भी एक भाषा के लिए बनाये गये कम्पाइलर दूसरी भाषा के सोर्स कोड को मशीनी भाषा या आब्जेक्ट कोड में नही बदल सकता है।
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इन्टरप्रेटर (Interpreter)
इन्टरप्रेटर किसे कहते हैं?
इन्टरप्रेटर भी एक ट्रान्सलेटर प्रोग्राम है जिसका उपयोग उच्चस्तरीय भाषा में लिखे गये प्रोग्राम को मशीन भाषा में परिवर्तित करने के लिए किया जाता है।
लेकिन कम्पाइलर व इन्टरप्रेटर में मुख्य अन्तर यह है कि कम्पाइलर पूरे source program को एक साथ मशीन भाषा में परिवर्तित करता है जबकि इन्टरप्रेटर उच्चस्तरीय भाषा में लिखे गये प्रोग्राम के एक-एक स्टेटमेन्ट (मतलब line by line) को परिवर्तित करके execute करता है। इन्टरप्रेटर एक साथ पूरे प्रोग्राम को मशीन कोड यानी कि object code में ट्रान्सलेट नहीं करता हैै।
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