इंटरलेस्ड और नॉन-इंटरलेस्ड क्या हे – Interlaced and Non – interlaced

Interlaced and Non- interlaced (इंटरलेस्ड एवं नॉन-इंटरलेस्ड)

ये दो भिन्न प्रकार की विधियॉं या तकनीके हैं जिनके द्वारा मॉनिटर, अपने स्क्रीन पर किसी भी image को प्रदर्शित करता है।

Interlaced Display Technique/ Method –

इंटरलेस्ड मॉनिटर, प्रत्येक फ्रेम को दो भागों (field) में विभाजित करके image को प्रदर्शित करता है।

पहले field में image की सभी विषम संख्या वाली lines (rows) होती हैं और दूसरे फील्ड में image की सभी सम संख्या वाली lines (rows) होती हैं।

मॉनिटर द्वारा इन दोनो फील्ड्स को एक साथ प्रदर्शित नहीं किया जाता, बल्कि बारी-बारी से दो बार में प्रदर्शित किया जाता है।

पहले मॉनिटर, odd lines वाले फील्ड्स को प्रदर्शित करता है फिर even lines वाले फील्ड्स को, जिससे एक संपूर्ण image (छवि/ picture) बन जाती है।

यह प्रक्रिया इतनी तेजी से होती है कि user/ viewer को यह पता ही नहीं चल पाता की image दो भागों से मिलकर बन रही है और उसे संपूर्ण image का एक साथ ही आभास होता है।

जब हम कहते हैं कि image frame दो भागों में बॅंटी होती है तो इसका मतलब यह है कि –  एक इमेज, pixels की हॉरिजॉन्टल  लाइंस (rows) व वर्टिकल लाइंस (column) से मिलकर बनी होती है।

माना की एक image में pixels की 480 हॉरिजॉन्टल लाइंस (rows) हैं –

Interlaced Display Technique

 

Note – यह चित्र समझाने के लिए प्रदर्शित किया गया है वास्तव में किसी image में pixels बहुत पास-पास होते हैं।

इनमें से 1,3,5,7…….. आदि विषम संख्या वाली लाइंस (odd number lines/ rows) हैं, जो पहले field में सम्मिलित होगीं एवं 2,4,6,8….. आदि सम संख्या वाली लाइंस (even number lines/ rows) हैं, जो दूसरे फील्ड में सम्मिलित होगीं।

इंटरलेस्ड तकनीक में मॉनिटर एक इमेज को प्रदर्शित करने के लिए, पहले विषम संख्या वाली लाइंस के field को प्रदर्शित करता है उसके बाद सम संख्या वाली लाइंस के field को प्रदर्शित करता है इस तरह image के ये दोनों fields मिलकर एक संपूर्ण image को तैयार कर देते हैं।

Advantages and Disadvantages of Interlaced monitor technique

Advantages of Interlaced monitor technique – लाभ

  • प्रारंभिक CRT Monitor में झिलमिलाहट (flicker) को कम करने में ऐतिहासिक रूप से उपयोगी था।
  • यह तकनीक slower bandwidth में भी data को ट्रांसमिट करने में सक्षम थी।

Disadvantages of Interlaced monitor technique – नुकसान/ हानि

  • जिन कार्यों के लिए higher resolution की आवश्यकता होती है जैसेकि – professional video editing, graphics design, gaming आदि ,उनके लिए अनुकूल नही था। क्योंकि यह मॉनीटर सीमित रिजॉल्यूशन में output display करता था।
  • यह तकनीक flicker (झिलमिलाहट) एवं visual artifacts उत्पन्न करती थी। (Visual Artifacts = Image या videos आदि का बिगड़ा हुआ रूप।)
  • तेज गति वाले सीन (Fast motion scenes) में इन्टरलेस्ड विडियो अपेक्षाकृत कम motion smoothness प्रदर्शित करते हैं, non-interlaced की तुलना में।

 

Non-interlaced Display Technique/ Method – अथवा Progressive Scan

नॉन इंटरलेस्ड डिस्प्ले तकनीक में, संपूर्ण image frame एक बार (a single pass) में ही प्रदर्शित कर दी जाती है। प्रत्येक फ्रेम एक image की, ऊपर से लेकर नीचे तक संपूर्ण lines (odd and even rows of pixels) को सम्मिलित करके रखती है और मॉनिटर एक साथ, एक बार में ही, एक पूरे image को प्रदर्शित कर देता है।

Non-interlaced Display Technique को प्रोग्रेसिव स्कैन (Progressive Scan) या प्रोग्रेसिव मॉनिटर (प्रगतिशील मॉनिटर) के नाम से भी जाना जाता है।

वर्तमान समय में प्रयोग किये जाने वाले आधुनिक मॉनिटर्स जैसे कि – LCD, LED, OLED आदि  मुख्य रूप से नॉन-इंटरलेस्ड (प्रगतिशील) तकनीक का ही उपयोग करते हैं।

 

Advantages and Disadvantages of Non-interlaced Monitor Technique

Advantages of Non-interlaced monitor technique – लाभ

  • सामान्यत: superior image quality प्रदान करता है।
  • झिलमिलाहट (flicker) को remove या कम करता है।
  • आधुनिक डिस्प्ले तकनीक जैसे कि LCD एवं LED screen के साथ बेहतर compatibility (अनुकूलता) प्रदान करता है।
  • Higher resolution output प्रदान करता है।
  • ऐसे काम या software जैसे- graphics design, gaming, video editing आदि जिनके लिए higher resolution एवं clear output की आवश्यकता होती है उनके लिए सर्वाधिक अनुकूल है।
  • Fast motion scenes में प्रोग्रेसिव विडियो higher motion smoothness प्रदर्शित करते हैं।

 

Disadvantages of Non-interlaced monitor technique – नुकसान/ हानि

  • Higher bandwidth की जरूरत होती है, डेटा के transmission के लिए। क्योंकि यह एक बार में एक पूरे image frame को ट्रांसमिट व प्रोसेस करता है।
  • कुछ पुराने कन्टेन्ट विशेषकर जो इन्टरलेक्ड तकनीक को ध्यान में रखकर बनाये गये थे, वे इस मॉनिटर तकनीक के संगत नही हैं। परिणामस्वरूप रूपांतरण के दौरान image quality में कमी एवं अन्य प्रकार के data loss हो सकते हैं।

 


संक्षेप में – इंटरलेस्ड डिस्प्ले तकनीक में मॉनिटर द्वारा एक image को प्रदर्शित करने के लिए, image के पिक्सल्स की rows को दो भागों odd rows एवं even rows में विभक्त कर लिया जाता है, फिर पहले एक साथ पूरी odd rows को प्रदर्शित किया जाता है उसके बाद एक साथ पूरी even rows को प्रदर्शित किया जाता है। इस तरह दो बार (two passes) में एक पूरी image प्रदर्शित कर दी जाती है। यह प्रक्रिया बहुत तेजी से होती है viewer समझने में असमर्थ होता है, उसे तो output के रूप में पूरी image दिखाई देती है।

जबकि – नॉन इंटरलेस्ड डिस्प्ले तकनीक में एक image के पिक्सल्स की सम्पूर्ण rows (lines) को एक बार में ही प्रदर्शित कर दिया जाता है। आधुनिक मॉनिटरो में इसी तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है। यह तकनीक तेज गति के साथ कार्य करती है। और आउटपुट की बेहतर गुणवत्ता प्रदान करती है।


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