ऑप्टिकल डिस्क क्या है एवं इसके प्रकार

ऑप्टिकल डिस्क (Optical Disc) – प्रकाशीय डिस्क

ऑप्टिकल डिस्क एक प्रकार का बहुत ही प्रसिद्ध एवं प्रचलित संग्रहण माध्यम है, जिसका विकास सन् 1970 के दशक में किया गया था। इसमें लेज़र किरणों अर्थात प्रकाश का प्रयोग करके डेटा को read एवं write किया जाता है इसीलिए इसे ऑप्टिकल डिस्क (प्रकाशीय डिस्क) कहते हैं।

यह चपटी, समतल एवं गोल होती है और बेसिक रूप से सामान्यतः रेजिन पदार्थ जैसेकि पॉलीकार्बोनेट की बनी होती है। पॉलीकार्बोनेट, प्लास्टिक का ही एक प्रकार होता है। इसकी सतह पर एल्युमिनियम पदार्थ की पतली परत का लेप होता है जिसकी वजह से इसमें परावर्तन (reflection) का गुण होता है और इसी सतह पर डेटा को encode (store) किया जाता है। ऑप्टिकल डिस्क पर डिजिटल डेटा को स्थाई रूप से संग्रहित किया जाता है यह परमानेंट स्टोरेज डिवाइस है।

Optical Disk


Reading and Writing Process of Optical Disc

Optical disc में data को write अर्थात् store अर्थात् burn करना –

ऑप्टिकल डिस्क में डेटा को स्टोर करने के लिए इसकी परावर्तक सतह पर उच्च तीव्रता की लेजर किरण (laser beam) डाली जाती है जिससे एक बहुत ही छोटा सा गड्ढा (microscopic pit) बनता है जिसे पिट (pit) कहते हैं, जो बाइनरी डेटा एक (1) का सूचक है एवं डिस्क की सतह पर जहां pits नहीं होता है वह लैंड (land) कहलाता है और बाइनरी डेटा शून्य (0) का सूचक है।

अर्थात ऑप्टिकल डिस्क में डेटा को स्टोर करने के लिए, लेजर बीम द्वारा इसकी सतह पर pits एवं land का निर्माण किया जाता है और इन्हीं  pits एवं lands के संयोजन से समस्त डेटा ऑप्टिकल डिस्क में संग्रहित किया जाता है।

ऑप्टिकल डिस्क में ट्रैक, स्पाइरल (spiral) होता है जिसमें डेटा क्रमानुसार संग्रहित (encode) किया जाता है।

Optical disc से data को read करना अर्थात प्राप्त करना –

ऑप्टिकल डिस्क से, स्टोर किए हुए डेटा को पढ़ने (read) के लिए, कम तीव्रता वाली लेजर बीम इसकी सतह पर डाली जाती है।

जब लेजर बीम pit पर पड़ती है तो कम प्रकाश परावर्तित होता है लेकिन जब लेजर बीम land पर पड़ती है तो ज्यादा प्रकाश परावर्तित होता है। इन परावर्तित प्रकाश के अंतर को फोटो डिटेक्टर द्वारा डिटेक्ट किया जाता है एवं डिजिटल डेटा (0 व 1) में परिवर्तित कर दिया जाता है जिसके परिणामस्वरूप वास्तविक data प्राप्त हो जाता है।


 

Types of Optical Disc – ऑप्टिकल डिस्क के प्रकार

मुख्य रूप से ऑप्टिकल डिस्क तीन प्रकार की होतीं हैं –

  1. CD
  2. DVD
  3. Blue Ray Disc

CD

सीडी का पूरा नाम कॉम्पैक्ट डिस्क (Compact Disc) है। यह एक डिजिटल optical disc data storage device है, जिसे पहली बार सन् 1982 में प्रस्तुत किया गया, पर CD का सर्वाधिक विकास एवं प्रचलन 1990 के दशक में हुआ।

Compact Disc

Read – CD से data को प्राप्त करना अथवा play करना।

Write – CD में data संग्रहित करना अथवा बर्न (burn) करना।

 

Types of CD

सीडी कई प्रकारों में उपलब्ध है जो निम्नलिखित है –

  • CD-ROM
  • CD-R
  • CD-RW
  • CD-Audio
  • VCD
  • CD-V

 

CD-ROM (Read Only Memory) 

सीडी रोम का पूरा नाम – कॉम्पैक्ट डिस्क-रीड ओनली मेमोरी (Compact Disc-Read Only Memory) है।

जैसा कि इसके नाम से ही पता चलता है यह रीड ओनली मेमोरी है, अर्थात इस CD में संग्रहित डेटा को केवल read किया जा सकता है। संग्रहित डेटा को, ना तो मिटाया जा सकता है, और ना ही इसमें नया डेटा write (स्टोर) किया जा सकता है।

इसे हम ऐसा समझ सकते हैं कि यह एक pre-recorded memory device हैं।

निर्माण के समय ही CD-ROM में, विक्रेता द्वारा डेटा स्टोर (burn) कर दिए जाते हैं उसके बाद किसी तरह का परिवर्तन संभव नहीं है।

सीडी रोम का उपयोग – सॉफ्टवेयर वितरण में बहुतायात से किया जाता है।

यह ऑडियो एवं वीडियो दोनों प्रकार के फॉर्मेट के लिए उपलब्ध है जिसमें movies, songs, games एवं अन्य प्रकार के डेटा भी संग्रहित किया जा सकते हैं।

सीडी रोम में डेटा write करने के लिए सीडी राइटर (CD Writer) एवं सीडी से डेटा को पढ़ने या प्राप्त करने के लिए CD Drive या CD Player की आवश्यकता होती है। CD Writer को CD Burner भी कहते हैं।

इसमें floppy disk की तुलना में अधिक डेटा संग्रहित किया जा सकता है। सामान्यत: सीडी रोम की संग्रहण क्षमता  630 MB, 640 MB, 700 MB या इससे भी ज्यादा होती है।

 

CD –R (Recordable) 

CD–R का पूरा नाम – कॉम्पैक्ट डिस्क-रिकार्डेबल (Compact Disc- Recordable) है।

यह CD का एक ऐसा प्रारूप है जिसमें यूजर, एक बार डेटा को राइट अथवा स्टोर कर सकता है एवं चाहे जितनी बार भी पढ़ सकता है।

एक बार डेटा स्टोर करने के बाद यह CD-ROM की तरह व्यवहार करने लगती है।

इसे WORM Disc (वॉर्म डिस्क) के नाम से भी जाना जाता है,  WORM = Write Once Read Many

अर्थात वैसी CD, जिस पर केवल एक बार लिखा जा सकता है और अनेकों बार, केवल पढ़ा जा सकता है, परन्तु संग्रहित किए गए data में कोई भी परिवर्तन या उसे मिटाया नहीं जा सकता है।

 

CD-RW (Re-writable) 

CD-RW का पूरा नाम – कॉम्पैक्ट डिस्क-रिराइटेबल (Compact Disc- Re-writable) है।

यह एक इरेजिबल एवं रिराइटेबल ऑप्टिकल डिस्क है, अर्थात इस प्रकार की सीडी में डेटा को स्टोर किया जा सकता है, उसे डिलीट एवं परिवर्तित किया जा सकता है एवं दोबारा डेटा स्टोर भी किया जा सकता है।और यह संपूर्ण प्रक्रिया बार-बार दोहराई जा सकती है।

CD-RW, यूजर को डेटा store, delete, modify एवं restore/rewrite करने की परमिशन देती है।

सीडी आरडब्ल्यू को प्रयोग करने के लिए CD-RW Drive की आवश्यकता होती है।

 

VCD – Video CD

VCD का पूरा नाम Video Compact disc है।

मूल रूप से इसे DVD का प्रारंभिक संस्करण कहा जा सकता है। इस सीडी का प्रयोग वीडियो कंटेंट को संग्रहित करने के लिए किया जाता है।

इसमें MPEG (Moving Picture Experts Group) कंप्रेशन तकनीक का प्रयोग करके video को एनकोड किया जाता है। 74 मिनट की फुल मोशन वीडियो पिक्चर की एक VCD बनाई जा सकती है।

VCD को चलाने के लिए VCD Player अथवा DVD Player की आवश्यकता होती है एवं इसको कंप्यूटर में लगे VCD Drive/ DVD Drive के द्वारा भी प्ले किया जा सकता है।

 

CD-A (Audio) 

CD-A पूरा नाम (Compact disc – Audio) है।

यह एक स्टैंडर्ड ऑडियो सीडी है जिसमें 80 मिनट का ऑडियो स्टोर किया जा सकता है इसका उपयोग सामान्यत: Audio Songs को संग्रहित करने के लिए किया जाता है।

 

CD-V (Video) 

इस प्रकार की सीडी में ऑडियो एवं वीडियो दोनों प्रकार के data को अलग-अलग संग्रहित किया जा सकता है।

CD-V एवं VCD दोनों अलग-अलग प्रकार की CD हैं।

VCD – विशेषरूप से video format को संग्रहित करने के लिए निर्मित की गई है। इसमें वीडियो के साथ जो ऑडियो मिक्स होता है वह कम्प्रेस्ड (compressed) होता है।

जबकि

CD-V मे ऑडियो एवं वीडियो, मतलब ऑडियो सॉन्ग एवं वीडियो सॉन्ग दोनों को अलग-अलग संग्रहित किया जा सकता है। क्योंकि इसमें वीडियो के साथ वाले ऑडियो के अलावा, ऑडियो कंटेंट को अलग से भी स्टोर किया जा सकता है जो कि कम्प्रेस्ड नहीं होता है। अर्थात CD-V में uncompressed digital audio sound भी store होते हैं।

 

DVD

DVD का पूरा नाम डिजिटल वीडियो डिस्क (Digital Video Disc) है, अथवा इसे डिजिटल वर्सेटाइल डिस्क (Digital Versatile Disc) भी कहते हैं।

जिसको 1995 में प्रस्तुत किया गया। यह भी ऑप्टिकल डिस्क का ही एक प्रकार है जिसका प्रयोग डिजिटल वीडियो, ऑडियो, सॉफ्टवेयर एवं अन्य प्रकार के डेटा को संग्रहित करने के लिए किया जाता है। इसकी संग्रहण क्षमता CD से लगभग 6 गुना या इससे भी ज्यादा होती है।

DVD

जब इंटरनेट एवं ऑनलाइन स्ट्रीमिंग डिवाइसेस जैसे कि – स्मार्टफोन, लैपटॉप, डेस्कटॉप आदि का प्रचलन नहीं था अथवा ये बहुत महंगे थे, तब movies, audio/ video songs एवं software आदि डीवीडी में ही उपलब्ध थे उस समय DVD बहुत ही पापुलर थी।

फ्लैश मेमोरी जैसे पेन ड्राइव, SSD, मैग्नेटिक डिस्क जैसे HDD एवं फिल्म व गानों के लिए ऑनलाइन स्ट्रीमिंग सर्विसेस आदि नई तकनीकों के आने के बाद ऑप्टिकल डिस्क (CD, DVD) आदि का प्रचलन लगभग खत्म हो गया है।

Storage capacity of DVD –

Single side (layer) DVD = 4.7 GB

Dual side DVD               = 8.5 GB

 

DVD के उपयोग (Application / Uses) –

Online streaming services के आने के पहले movies, songs आदि को संग्रहित करने में।

Software वितरण में (Application एवं Operating system software)

कम्प्यूटर से data का बैकअप लेने के लिए।

 

DVD को प्रयोग करने के लिए DVD Drive या DVD Player की आवश्यकता होती है।

 

Types of DVD – डिजिटल विडियो डिस्क के प्रकार

डीवीडी निम्न प्रकार की होती हैं –

  • DVD-ROM 
  • DVD-R एवं DVD+R (Recordable)
  • DVD-RW एवं DVD+RW (Rewritable)
  • DVD-RAM
DVD-ROM 

इसका पूरा नाम – डिजिटल वीडियो डिस्क-रीड ओनली मेमोरी  (Digital Video Disc-Read Only Memory) है।

इस प्रकार के DVD प्री-रिकॉर्डेड (pre-stored) होते हैं। इनमें संग्रहित डेटा को केवल read अथवा play किया जा सकता है अर्थात हम केवल उसे उपयोग कर सकते हैं ना तो परिवर्तित किया जा सकता है और ना हीं मिटाया एवं दोबारा write किया जा सकता है।

इसका उपयोग सामान्यत: – कमर्शियल मूवीज, सॉफ्टवेयर एवं गेम्स को संग्रहित करके वितरित करने के लिए किया जाता है।

 

DVD-R एवं DVD+R (Recordable)

केवल एक बार डेटा संग्रहित किया जा सकता है उसके बाद यह DVD–ROM की तरह व्यवहार करने लगता है। इसमें data को एक बार write करने के बाद उसमें किसी तरह का परिवर्तन सम्भव नही है। पर चाहे जितनी बार भी read/ play किया जा सकता है। (Write Once Read Many)

DVD-RW एवं DVD+RW (Rewritable)

इसमें अनेकों बार data को store, modify एवं delete किया जा सकता है।

DVD-RAM

इसका पूरा नाम – डिजिटल वीडियो डिस्क-रैण्डम एक्सेस मेमोरी ((Digital Video Disc-Random Access Memory) है।

यह rewritable होती है। इसमें data को अधिक तीव्र गति से read एवं write किया जा सकता है। यह ज्यादा durable (टिकाऊ) होती है, एवं data को प्राप्त करने के लिए hard disk की तरह वास्तविक रैण्डम एक्सेस प्रदान करती है।

 

Blu Ray Disc (ब्‍लू-रे डिस्क)

Blu-Ray Disc (BD)

Blu-Ray Disc, एक ऑप्टिकल स्टोरेज का ही प्रकार है।

इसे DVD का advance version कहा जा सकता है, क्योंकि इसकी स्टोरेज कैपेसिटी, DVD की तुलना में काफी ज्यादा होती है।

Single-layer (एक स्तरीय) ब्लू-रे डिस्क में 25 GB व dual-layer ब्लू-रे डिस्क में 50 GB तक डेटा संग्रहित किया जा सकता है।

इसके अलावा triple layer एवं quadruple layer में भी यह मेमोरी उपलब्ध है जिसमें और ज्यादा डेटा संग्रहित किया जा सकता है।

अत्यधिक संग्रहण क्षमता प्रदान करने की वजह से यह disc, उच्च क्वालिटी के वीडियो, ऑडियो (High definition –HD Video/Audio) एवं अन्य डेटा, जो मेमोरी में ज्यादा स्पेस ग्रहण करते हैं उनको स्टोर करने में सक्षम थी।

Blu Ray Disc

Blu-Ray Disc तकनीक में, data को रीड (access) एवं राइट (store) करने के लिए Blue-violet laser (नीले- बैंगनी लेजर) का उपयोग किया जाता है। इसीलिए इन्हें Blu-Ray Disc कहते हैं।

DVDs में उपयोग किए जाने वाले लाल लेजर की तुलना में नीले-बैंगनी लेजर की तरंगदैर्ध्य (wave length) कम होती है। यह छोटी तरंगदैर्ध्य, लेजर को डिस्क की सतह पर अधिक सटीक रूप से (precisely) ध्यान केंद्रित (focus) करने में सक्षम बनाती है।

अर्थात सूक्ष्म गड्ढे एवं संकीर्ण ट्रैक बनाए जा सकते हैं, जिसमें data को कसकर (tightly) पैक किया जा सकता है। और एक ही physical space (भौतिक स्थान) में अधिक डेटा संग्रहित किया जा सकता है। परिणाम स्वरुप high data density प्राप्त होती है और अंतत: Blu-Ray Disc का आकार DVD के समान होने के बावजूद भी, इसकी स्टोरेज कैपेसिटी DVD की तुलना में 5 से 10 गुना ज्यादा होती है।

Blu-Ray Disc को उपयोग करने के लिए Blu-ray Disc Player अथवा Blu-ray Disc Drive (for Computer) का प्रयोग किया जाता है।


 

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